साइबर अपील अधिकरण की स्थापना प्रमाणन प्राधिकरण नियंत्रक के तत्ववधान में आईटी अधिनियम के तहत की गई है।
2.
साइबर अपील अधिकरण को, आईटी अधिनियम के तहत अपने कार्यों के निष्पादन के उद्देश्य से वही शक्तियां प्राप्त होती हैं जैसा कि किसी दीवानी अदालत को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत प्राप्त होती हैं।
3.
इस साइबर अपील अधिकरण में एक पीठासीन अधिकारी होता है, जो कि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होने के योग्य होता है या भारतीय विधिक सेवा का सदस्य रहा हो और पिछले कम से कम तीन वर्षों से उस सेवा में ग्रेड-।
4.
साइबर अपील अधिकरण के समक्ष प्रत्येक कार्यवाही को धारा 193 और 228 के अर्थ दायरे के भीतर और भारतीय दंड संहिता की धारा 196 के उद्देश्यों के लिए एक न्यायिक कार्यवाही के रूप में माना जाएगा और साइबर अपील अधिकरण को अपराधिक प्रक्रिया, संहिता 1973 के अध्याय
5.
साइबर अपील अधिकरण के समक्ष प्रत्येक कार्यवाही को धारा 193 और 228 के अर्थ दायरे के भीतर और भारतीय दंड संहिता की धारा 196 के उद्देश्यों के लिए एक न्यायिक कार्यवाही के रूप में माना जाएगा और साइबर अपील अधिकरण को अपराधिक प्रक्रिया, संहिता 1973 के अध्याय
6.
प्रत्येक न्यायनिर्णायक अधिकारी को सिविल न्यायालय की वे शक्तियां होंगी, जो धारा 58 की उपधारा (2) के अधीन साइबर अपील अधिकरण को प्रदान की गई है, औरः-(क) उसके समक्ष की सभी कार्यवाहियां भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 193 और धारा 228 के अर्थान्तर्गत न्यायिक कार्यवाहियां समझा जाएंगी।